निर्देशन: व्ही. शान्ताराम
अभिनय: व्ही. शान्ताराम, सन्ध्या, राजश्री, मुमताज
गायन: लता मंगेशकर, आशा भोसले, महेन्द्र कपूर, मन्ना डे
गीत: भरत व्यास
संगीत: सी. रामचन्द्रन
महाकवि कालिदास के प्रसिद्ध नाटक अभिज्ञान शाकुन्तलम् पर आधारित फिल्म स्त्री में व्ही. शान्ताराम और उनकी पत्नी सन्ध्या मुख्य भूमिका में है। कण्व ऋषि आश्रम के आश्रम में रहने वाली अनेक कन्याओं में मुमताज भी है।
एक दृश्य में जब भँवरा शकुन्तला को परेशान करता है, उस समय मुमताज भी अन्य लड़कियों के साथ डर के इधर-उधर भागती है और गिर पड़ती है। राजा दुश्यन्त भँवरे से शकुन्तला की रक्षा करते है और शकुन्तला के रूप से मोहित हो जाते है। तब मुमताज दोनों को छेड़ती है।
शकुन्तला के विवाह के बाद आश्रम से विदाई के समय भी मुमताज आश्रम की अन्य लड़कियों के साथ मिलकर शकुन्तला को रो-रोकर विदा करती है।
मुमताज ने 1963 व्ही. शान्ताराम और सन्ध्या के साथ एक और फिल्म, सेहरा में भी काम किया। मुमताज ने राजश्री के साथ ब्रह्मचारी और दो दिल में भी काम किया है। इन दोनों फिल्मों में राजश्री मुख्य भूमिका में है। राजश्री ने शादी के बाद जब अचानक फिल्मों में काम करना छोड़ दिया, तब व्ही. शान्ताराम ने अपनी फिल्म बूँद जो बन गई मोती में राजश्री से बदले मुमराज को नायिका की भूमिका में लिया।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें