
स्तन कैंसर से दुनिया भर में हर एक मिनट में एक महिला की मृत्यु हो जाती है।
1 अ मिनट नम्रता सिंह गुजराल द्वारा लिखित और निर्देशित एक डॉक्यूमेंट्री-ड्रामा है जिसमें वह स्तन कैसर से पीड़ित अनेक महिलाओं के साथ अपने निजी अनुभव का वर्णन करती है।केली मैकगिल्लिस द्वारा कही गई इस फिल्म में दीपक चोपड़ा, डेनिस स्लामन, नैंसी ब्रिंकर के साथ अन्य प्रसिद्ध व्यक्तियों के साक्षात्कार सम्मिलित है जिनको प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से स्तन कैंसर के झूझना पड़ा। इनमें ओल्विया न्यूटन-जॉन, नम्रता सिंह गुजराल, जैक्लीन स्मिथ, मेलिसा इथरिज, बारबरा मोरी, लिसा रे, डायहन कैरोल, विलियम बाल्डविन, डैनियन बाल्डविन, मुमताज, जैसमीन सिंह कूपर और प्रिया दत्त भी शामिल है।
1 अ मिनट की डी.वी.डी यूनिग्लोब एंटरटेंमेंट की वेबसाइट और एमेजन पर उपलब्ध है।
1 अ मिनट का टैलर यूट्यूब पर उपलब्ध है।
1 अ मिनट में मुमताज

मेरा नाम मुमताज है। मेरे माता-पिता शिराज, ईरान से भारत आकर बम्बई में बस गए। बम्बई में मेरा जन्म हुआ और मैं यहीं पली-बढ़ी।
मेरी मनपसंद फिल्में है - खिलौना, आईना, आप की कसम, तेरे मेरे सपने और हरे रामा हरे कृष्णा। एक साथ तीन सिल्वर जुबली फिल्में। अब ऐसा नहीं होता। आजकल तो एक फिल्म हिट होने पर ही लोग शोर मचाने लगते है।

मैंने सब कुछ देखा है। सफलता को मैने बहुत करीब से देखा है।
और जैसा सब औरतें सोचती है, मैं भी वैसा ही सोचती थी -- मुझे स्तन कैंसर नहीं हो सकता। मैं अपने शरीर को लेकर बहुत संवेदनशील हूँ। और जब मुझे गाँठ के बारे में बता चला तो मैंने कहा -- डॉक्टर, मैं इसे निकलवाना चाहती हूँ। पर डॉक्टर ने कहा, घबराने की बात नहीं, मामूली-सी गाँठ है।
मैंने कहा -- नहीं, इसे निकाल दीजिए।
फिर मैं यह सुनकर चकित रह गई कि मुमताज तुम्हें स्तन कैंसर है। जबकि मैमोग्राफी में कुछ भी नहीं था।
मुझे मुसलमान की तरह पाला-पोसा गया था। कुछ मुस्लिम देशों में ऐसा माना जाता है कि महिलाओं को अपने कपड़े नहीं उतारने चाहिए और मैमोग्राफी नहीं करवानी चाहिए। लेकिन यह सोच बिल्कुल गलत है। क्योंकि बिना जाँच किए कैसे पता चलेगा कि कैंसर है या नहीं।

जब मैं कीमो के लिए जाती थी तब मेरी बेटियाँ बहुत रोती थी। मेरे पति भी रोते थे। सब लोग मेरा बहुत ख्याल रखते थे। हमेशा मेरी देखभाल करते थे। कीमो के बाद कुछ भी खाने का मन नहीं होता। मुझे जबरदस्ती खानाा खिलाते। भाग-भागकर मेरी पसन्द की चीजें लाते।

सबकी जिन्दगी में परेशानियाँ होती है। दुनिया में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसे कोई परेशानी नहीं हो। कैंसर से सबको डर लगता है। पहले तो मुझे ऐसा लगा कि जैसे किसी ने मेरे ऊपर बर्फिला पानी डाल दिया हो - मैं ऐसी ठंडी हो गई थी।
कैंसर के मुख्य कारण
चार बार मेरा गर्भ गिर गिर गया। एक बार एक्टोपिक गर्भ हुआ।
मेरे पति को यह सुनकर अच्छा तो नहीं लगेगा पर हमारी शादी के 13-14 वर्ष के बाद मुझे पता चला कि उनकी जिन्दगी में कोई दूसरी औरत भी है। और इस बात से मुझे अत्याधिक मानसिक कष्ट हुआ। लेकिन हर किसी को कभी न कभी हकीकत से सामना करना ही पड़ता है।


सभी स्त्रियाँ जानती है कि गर्भावस्था कितनी दुखदायी होती है। लेकिन मेरा कहना है कि कैंसर की बीमारी गर्भावस्था से लाख गुना दुखदायी है। और अगर आपका खून ठीक नहीं है यह उसमे सफेद रक्त कोशिकाओं की कमी है तो कीमो से आप मर भी सकते है।
कीमो से मेरा थायोराइड नष्ट हो गया। लीवर ने काम करना बन्द कर दिया। मैं बस मरने ही वाली थी।
यह कोई नहीं कह सकता कि एक बार ठीक होने के बाद कैंसर दुबारा होगा या नहीं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सिर्फ इसी बात की चिंता करते-करते अपने जिन्दगी और अपना भविष्य बरबाद कर लो।

हमेशा अच्छा सोचो। एक दिन सबको मरना है। इसलिए इन बातों को परमात्मा पर छोड़ दो। मुसलमान मानते है कि सबकी मौत पहले से ही तय है। इसलिए जरुरतमंदों की मदद करो, दान करो और पुण्य कमाओ।

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